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रुपये में गिरावट से बढ़ा दबाव, आरबीआई की रणनीति पर निवेशकों की नजर Rupee Falls, Market Unsettled
चाचा का धमाका की रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय शेयर मार्केट में सुबह से ही निवेशकों के बीच अनिश्चितता का माहौल बना रहा।
भारतीय शेयर बाज़ार अभी भी रिकॉर्ड स्तरों के करीब हैं, लेकिन रुपये की लगातार तेज़ गिरावट और अंतरराष्ट्रीय बाज़ारों में बढ़ती हलचल ने पूरे माहौल को अस्थिर कर दिया है।
वैश्विक स्तर पर एआई सेक्टर में शुरू हुई तेज़ी से हुई ट्रेडिंग गुरुवार को अचानक मंदी में बदल गई, जिसका सीधा असर एशियाई बाज़ारों और भारत के वित्त उद्योग पर भी दिखाई दिया है।
इस स्थिति ने घरेलू निवेशकों और नीति निर्माताओं के लिए नई चुनौतियाँ खड़ी कर दी हैं।
मार्केट विशेषज्ञ अजय बग्गा ने इस स्थिति पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि रुपये का 89 के मनोवैज्ञानिक स्तर से नीचे जाना एक बहुत ही अहम संकेत है।
सामान्य तौर पर यह उम्मीद की जाती है कि भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) इस स्तर पर रुपये को सहारा देने के लिए हस्तक्षेप करेगा।
रुपये की यह गिरावट विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) द्वारा की जा रही भारी बिकवाली या जापान में बढ़ती मुद्रास्फीति के कारण कैरी ट्रेड के अनवाइंड होने से जुड़ी हो सकती है।
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर जापान दिसंबर में अपनी दरें बढ़ाता है, तो कई विदेशी निवेशक अपनी पोज़िशन्स बदल सकते हैं, जिसका नकारात्मक असर भारत जैसे उभरते बाज़ारों के निवेश प्रवाह पर पड़ेगा।
कमज़ोर रुपये के साथ-साथ एफपीआई टैक्सेशन से जुड़ी चिंताएँ और अस्थिर वैश्विक हालात विदेशी निवेशकों की भारतीय बाज़ार में दिलचस्पी कम कर रहे हैं।
इन सभी कारकों के संयुक्त प्रभाव से भारतीय अर्थव्यवस्था पर दबाव बढ़ रहा है और आरबीआई के लिए रुपये को स्थिर करना एक बड़ी चुनौती बन गई है।
आने वाले समय में आरबीआई की नीतियाँ और वैश्विक घटनाक्रम ही भारत के वित्तीय बाज़ारों का भविष्य तय करेंगे।
- रुपये की गिरावट ने भारतीय शेयर मार्केट में विशेषज्ञों की चिंता बढ़ाई।
- विशेषज्ञों के अनुसार, आरबीआई से रुपये को स्थिर करने हेतु हस्तक्षेप की उम्मीद।
- एफपीआई की बिकवाली और जापान की मुद्रास्फीति रुपये पर दबाव के मुख्य कारण।
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Posted on 24 November 2025 | Check चाचा का धमाका.com for more coverage.