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धर्म और राजनीति: मानवीय दक्षता से ही तय होती है नेताओं की जीत? Human Wisdom Political Importance
भोपाल में चाचा का धमाका की रिपोर्ट के अनुसार, आज के राजनीतिक परिदृश्य में मानवीय दक्षता और विवेक का महत्व पहले से कहीं अधिक बढ़ गया है।
पं. विजयशंकर मेहता अपने कॉलम के माध्यम से इस बात पर जोर देते हैं कि बच्चों को सिर्फ दौलत या स्वतंत्रता देने के बजाय यह सिखाना जरूरी है कि जीवन में सही चुनाव कैसे करें।
यही बात राजनीति के क्षेत्र में भी लागू होती है, जहाँ नेताओं को केवल पद या शक्ति के पीछे भागने की बजाय अपने मानवीय मूल्यों और जनसेवा के प्रति समर्पण को बचाए रखना चाहिए।
एक नेता की असली पहचान उसके चरित्र और उसके द्वारा लिए गए निर्णयों से होती है, न कि उसकी पार्टी या उपलब्ध संसाधनों से।
लेखक इसे महाभारत के प्रसंग से जोड़ते हैं, जहाँ युद्ध से पहले श्रीकृष्ण ने अपनी विशाल सेना और स्वयं के बीच चुनाव का अवसर दिया था।
अर्जुन ने विवेक का परिचय देते हुए शस्त्र न उठाने वाले श्रीकृष्ण को चुना, जबकि दुर्योधन ने उनकी सेना को प्राथमिकता दी।
यह प्रसंग स्पष्ट करता है कि तात्कालिक लाभ या भौतिक संसाधनों से अधिक महत्वपूर्ण दीर्घकालिक विवेक और मानवीय दक्षता है।
आज के चुनाव में भी, मतदाताओं को ऐसे नेताओं को चुनना चाहिए जो केवल वादों या शक्ति प्रदर्शन पर नहीं, बल्कि अपने नैतिक बल और जनता के प्रति अपनी प्रतिबद्धता पर खरे उतरें।
चाहे वह कांग्रेस के नेता हों या बीजेपी के, जनता की अपेक्षा ऐसे व्यक्तित्व से होती है जो देश और समाज के लिए सही मायनों में समर्पित हो।
इस बात को समझना अत्यंत महत्वपूर्ण है कि किसी भी सत्ताधारी दल या विपक्षी दल के लिए, अंततः जनता का विश्वास और दीर्घकालिक सफलता मानवीय दक्षता और नैतिक मूल्यों पर आधारित होती है।
जो नेता इन सिद्धांतों को अपनाता है, उसकी जीत सुनिश्चित है और वही वास्तविक अर्थों में एक कुशल प्रशासक और जनसेवक बन पाता है, जो राजनीति को नई दिशा दे सकता है।
- राजनीति में मानवीय दक्षता ही असली सफलता की कुंजी है।
- नेताओं को तात्कालिक लाभ छोड़ विवेकपूर्ण निर्णय लेने चाहिए।
- महाभारत का प्रसंग सिखाता है, चरित्र ही सच्चा धन है।
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Posted on 22 November 2025 | Keep reading चाचा का धमाका.com for news updates.