क्या धर्मगुरुओं का आचरण राजनीति को भी प्रभावित करता है? एक गहन विश्लेषण। Preachers Influence Society Politics

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क्या धर्मगुरुओं का आचरण राजनीति को भी प्रभावित करता है? एक गहन विश्लेषण। Preachers Influence Society Politics

चाचा का धमाका की रिपोर्ट के अनुसार, पं. विजयशंकर मेहता अपने कॉलम में धर्मगुरुओं की भूमिका पर गहन चिंतन प्रस्तुत करते हैं, जिसका सीधा असर समाज और अंततः राजनीति पर भी पड़ता है।

वे जोर देते हैं कि कथावाचन मात्र एक हुनर नहीं, बल्कि एक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है।

वर्तमान दौर में कुछ धर्मगुरुओं की बढ़ती 'स्टार-वैल्यू' जनता के बीच आलोचना का विषय बन रही है, ठीक वैसे ही जैसे सार्वजनिक जीवन में नेताओं के आचरण पर कड़ी नजर रखी जाती है।

मेहता कहते हैं कि समाज का एक बड़ा वर्ग आज भी कथा-सत्संगों से मार्गदर्शन प्राप्त करता है, लेकिन अब धर्मगुरुओं को अपने आचरण में अधिक सावधानी बरतनी होगी।

उनका हर कदम लगातार निरीक्षण और परीक्षण के दायरे में है।

केवल किस्से-कहानियां या मनोरंजन प्रदान करना पर्याप्त नहीं होगा, बल्कि उन्हें वास्तविक जीवन की समस्याओं का समाधान देना होगा।

इस बदलते परिदृश्य में, श्रोता या 'जनता' केवल ज्ञान नहीं, बल्कि अपनी अशांति और बेचैनी से मुक्ति चाहती है।

यह ठीक वैसे ही है जैसे चुनावी माहौल में लोग अपने नेताओं से सिर्फ वादे नहीं, बल्कि ठोस समाधान की उम्मीद करते हैं।

यदि कोई कथावाचक केवल अपना महत्व या ज्ञान स्थापित करता रहे और श्रोता को उसकी समस्याओं का हल न मिले, तो वह सत्संग भी महज एक तमाशा बन जाएगा।

आज श्रवण-रस का अर्थ ही 'समाधान का मार्ग' खोजना है।

किसी भी कथा की भाषा 'प्रॉब्लम-शूटर' होनी चाहिए।

ठीक वैसे ही जैसे एक प्रभावी राजनीतिक दल समाज की वास्तविक चुनौतियों को पहचानकर उनका निराकरण प्रस्तुत करता है।

अशांत और परेशान लोग ऐसे सत्संगों की तलाश में हैं जो उन्हें व्यावहारिक समाधान दें।

पं. मेहता का यह विचार मौजूदा सामाजिक और राजनीतिक परिदृश्य के लिए भी अत्यंत प्रासंगिक है।

चाहे वह धर्म का क्षेत्र हो या राजनीति का, सच्चा नेतृत्व वही है जो लोगों की समस्याओं को समझकर उनका स्थायी हल प्रस्तुत करे।

केवल समाधानकारी सत्संग और नेतृत्व ही अब स्वीकार किया जाएगा, जो एक स्थिर और प्रगतिशील समाज की नींव रखता है।

  • धर्मगुरुओं की कथायें अब केवल ज्ञान नहीं, समाज की समस्याओं का समाधान बनें।
  • सार्वजनिक जीवन में नेताओं की तरह धर्मगुरुओं का आचरण भी गहन जांच के दायरे में है।
  • जनता समाधान-केंद्रित सत्संग और नेतृत्व स्वीकार करेगी, जो सामाजिक स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण है।

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Posted on 10 October 2025 | Stay updated with चाचा का धमाका.com for more news.

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