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भक्तों की पुकार पर विष्णु अवतार: नरसिंह और वामन कथाएं धर्म का महत्व उजागर Divine Avatars Restore Dharma
चाचा का धमाका की रिपोर्ट के अनुसार, जब-जब पृथ्वी पर अधर्म का भार बढ़ा है, तब-तब जगत के पालनहार भगवान श्रीहरि विष्णु ने धर्म की स्थापना और भक्तों की रक्षा के लिए अनेक अवतार लिए हैं।
पौराणिक कथाओं में भगवान विष्णु के नरसिंह और वामन अवतार की कथाएं अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती हैं, जो यह दर्शाती हैं कि किस प्रकार देवता अपने भक्तों की पुकार पर संकटमोचक बनकर आते हैं।
ये कथाएं न केवल धर्म के मूल सिद्धांतों को प्रतिपादित करती हैं, बल्कि हमें सत्य और भक्ति की शक्ति का भी बोध कराती हैं।
भगवान विष्णु के प्रमुख अवतारों में से एक नरसिंह अवतार की कथा ऋषि कश्यप और दिति के पुत्रों, हिरण्याक्ष और हिरण्यकश्यप से जुड़ी है।
हिरण्याक्ष का वध भगवान विष्णु ने वराह अवतार में किया था, जिससे दुखी होकर हिरण्यकश्यप ने घोर तपस्या की और ब्रह्माजी से वरदान प्राप्त किया कि उसे न कोई मनुष्य मार सके, न पशु, न दिन में न रात में, न घर के अंदर न बाहर, न शस्त्र से न अस्त्र से।
अहंकार में चूर हिरण्यकश्यप स्वयं को ईश्वर मानने लगा और अपने पुत्र प्रह्लाद को भी विष्णु की पूजा करने से रोका।
प्रह्लाद की अटूट भक्ति के कारण भगवान विष्णु ने नरसिंह का रूप धारण किया – जिसमें आधा शरीर मनुष्य का और आधा सिंह का था।
उन्होंने हिरण्यकश्यप को संध्याकाल में, घर की चौखट पर, अपने नाखूनों से मारकर उसका वध किया, इस प्रकार अपने भक्त की रक्षा कर धर्म की विजय सुनिश्चित की।
इसी प्रकार त्रेतायुग में भगवान विष्णु ने वामन अवतार लिया, जो उनके पांचवें अवतार के रूप में विख्यात है।
वामन देव ने राजा बलि के अहंकार को तोड़ने और देवताओं को उनका अधिकार वापस दिलाने के लिए एक छोटे ब्राह्मण बालक का रूप धारण किया था।
उन्होंने राजा बलि से तीन पग भूमि दान में मांगी।
जब बलि ने सहमति दी, तो वामन देव ने विराट रूप धारण कर लिया।
एक पग में पृथ्वी, दूसरे पग में स्वर्ग लोक माप लिया और तीसरे पग के लिए बलि से पूछा कि वह कहां रखे।
बलि ने अपना सिर आगे कर दिया, जिस पर वामन देव ने पैर रखकर उसे पाताल लोक भेज दिया, परंतु उसकी दानवीरता से प्रसन्न होकर उसे अमरता का वरदान भी दिया।
ये कथाएं दर्शाती हैं कि जब-जब धर्म संकट में होता है, तब-तब देवता किसी न किसी रूप में आकर पूजा और भक्ति का मार्ग प्रशस्त करते हैं और बुराई पर अच्छाई की जीत सुनिश्चित करते हैं।
इन पौराणिक कथाओं का सार यह है कि भक्ति और सत्य का मार्ग ही जीवन में सर्वोच्च है।
- भगवान विष्णु ने भक्तों की रक्षा के लिए अनेक अवतार लिए।
- नरसिंह अवतार में हिरण्यकश्यप का वध कर धर्म की स्थापना की।
- वामन अवतार ने राजा बलि के अहंकार को समाप्त किया।
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Posted on 13 November 2025 | Follow चाचा का धमाका.com for the latest updates.