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धर्म और आध्यात्म: रामचरितमानस में शिव विवाह का दिव्य प्रसंग उजागर! Shiva Parvati Sacred Marriage Preparations
चाचा का धमाका की रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय धर्म और आध्यात्म में भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह एक अत्यंत महत्वपूर्ण प्रसंग है।
रामचरितमानस के 'ज्ञान गंगा' भाग-33 में इसी पावन विवाह की तैयारियों और शिवजी के अद्वितीय श्रृंगार का मनोहारी वर्णन प्रस्तुत किया गया है।
समस्त देवतागण अपने-अपने वाहन और विमान सजाने में लीन हो गए, हर ओर मंगलकारी शकुन होने लगे और अप्सराएं मधुर गान करने लगीं।
शिवजी के गणों ने उनके श्रृंगार की बागडोर संभाली।
उनकी जटाओं का मुकुट बनाया गया और उस पर साँपों का मौर सजाया गया।
कान में कुंडल और हाथों में कंगन भी सर्पों के ही थे।
शिवजी ने अपने शरीर पर भस्म रमाई और वस्त्र के स्थान पर बाघम्बर धारण किया।
उनके सुंदर मस्तक पर चंद्रमा, सिर पर गंगा, तीन नेत्र और उपवीत के स्थान पर भी सर्प शोभायमान थे।
कंठ में विष और वक्ष पर नरमुंडों की माला धारण किए, भगवान शिव का यह कल्याणकारी, किंतु अद्भुत रूप, भक्तों को उनके अलौकिक स्वरूप की महिमा का अनुभव कराता है।
यह प्रसंग न केवल विवाह की तैयारियों का वर्णन करता है, बल्कि भगवान शिव के निराले व्यक्तित्व और उनकी सर्वोच्च देवत्व को भी उजागर करता है, जिससे उनकी पूजा और भक्ति का महत्व और बढ़ जाता है।
- देवताओं ने शिव विवाह के लिए विविध वाहन और विमान सजाए, शुभ शकुन हुए और अप्सराएं गाती रहीं।
- शिवजी का अद्वितीय श्रृंगार: जटाओं पर सर्प मौर, शरीर पर भस्म, बाघम्बर और तीन नेत्रों से युक्त अलौकिक रूप।
- यह प्रसंग रामचरितमानस में शिवजी के दिव्य और कल्याणकारी रूप को दर्शाता है, जो धर्म और आध्यात्म का गहरा संदेश है।
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Posted on 02 October 2025 | Follow चाचा का धमाका.com for the latest updates.