धर्म और आध्यात्मिक शांति: महागौरी की पूजा से नकारात्मकता कैसे मिटाएं? Navratri Ashtami Mahagauri Worship

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धर्म और आध्यात्मिक शांति: महागौरी की पूजा से नकारात्मकता कैसे मिटाएं? Navratri Ashtami Mahagauri Worship

चाचा का धमाका की रिपोर्ट के अनुसार, आज नवरात्रि की अष्टमी तिथि पर देवी महागौरी की श्रद्धापूर्वक पूजा की जा रही है।

यह विशेष दिन भक्तों के लिए आध्यात्मिक उत्थान और मानसिक शांति का अवसर लेकर आता है।

धर्म ग्रंथों के अनुसार, महागौरी देवी का स्वरूप अत्यंत उज्ज्वल और शांत है, जो सफेद वस्त्र धारण करती हैं।

इनकी पूजा करने से व्यक्ति के मन से नकारात्मक विचार दूर होते हैं और एक अद्वितीय शांति की अनुभूति होती है, जो जीवन के संघर्षों में स्थिरता प्रदान करती है।

देवी महागौरी की कथा अत्यंत प्रेरणादायक है, जो समर्पण और तपस्या का प्रतीक है।

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, देवी पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या का संकल्प लिया था।

इस कठिन तपस्या के दौरान, उन्होंने अनेक वर्षों तक केवल फूल और बिल्वपत्र का सेवन किया, और बाद में तो जल तक त्याग दिया।

धूप, वर्षा और ठंड जैसी विकट परिस्थितियों में भी उनकी तपस्या अविचलित रही, जिससे उनका शरीर काला पड़ गया और वे अत्यधिक दुर्बल हो गईं।

उनकी इस अडिग भक्ति और अटूट श्रद्धा को देखकर अंततः भगवान शिव प्रसन्न हुए और उनके समक्ष प्रकट हुए।

शिवजी ने उन्हें पत्नी रूप में स्वीकार किया और गंगाजल से स्नान कराया, जिससे देवी का शरीर गौर वर्ण का हो गया।

तभी से वे देवी महागौरी के नाम से पूजी जाने लगीं।

यह कथा भक्तों को यह सिखाती है कि सच्ची निष्ठा और अटूट विश्वास से किसी भी लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है।

आज के दिन भक्तजन देवी महागौरी के इस पवित्र स्वरूप की पूजा-अर्चना कर उनकी कृपा प्राप्त करते हैं।

यह विशेष पूजा नवरात्रि के आठवें दिन की जाती है और इसे शक्ति के विभिन्न रूपों में से एक महत्वपूर्ण देवता के रूप में देखा जाता है।

देश भर के मंदिरों में भक्त सफेद वस्त्र धारण कर देवी की आराधना करते हैं, यह कामना करते हुए कि उनके जीवन में सुख-समृद्धि आए और सभी बाधाएं दूर हों।

यह दिन न केवल एक धार्मिक अनुष्ठान है, बल्कि यह व्यक्तिगत आत्म-शुद्धि और आध्यात्मिक उन्नति का भी एक महत्वपूर्ण माध्यम है।

  • महागौरी की पूजा से नकारात्मक विचार दूर होते हैं और मन को शांति मिलती है।
  • देवी पार्वती ने शिव को पति रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी।
  • शिव ने गंगाजल से स्नान कराकर उनके शरीर को गौर वर्ण प्रदान किया था।

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Posted on 02 October 2025 | Visit चाचा का धमाका.com for more stories.

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