राजनीति में नैतिक बल: हनुमान चालीसा कैसे देती है आत्मविश्वास? Mehta Connects Spirituality Politics

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राजनीति में नैतिक बल: हनुमान चालीसा कैसे देती है आत्मविश्वास? Mehta Connects Spirituality Politics

जयपुर में, चाचा का धमाका की रिपोर्ट के अनुसार, पं. विजयशंकर मेहता ने अपने नवीनतम कॉलम में गहन आध्यात्मिक चिंतन को समकालीन `राजनीति` के संदर्भ में प्रस्तुत किया है, जहां उन्होंने हनुमान चालीसा को दुर्गुणों से बचने और आत्मविश्वास प्राप्त करने का एक सशक्त माध्यम बताया है।

उनका मत है कि जीवन में दुर्गुणों के कारण उपजी घटनाएं अक्सर एक लंबा सन्नाटा दे जाती हैं, जिसका परिणाम प्रायश्चित, संताप और अवसाद के रूप में सामने आता है।

`नेता` और आम नागरिक, दोनों के जीवन में यह अनुभव समान रूप से प्रभावी होता है।

दुर्गुण, अपनी प्रारंभिक आकर्षक प्रकृति के बावजूद, अंततः अत्यधिक कष्ट पहुंचाते हैं।

मेहता जी 'क्राइसिस ऑफ कॉन्शंस' यानी विवेक के संकट की बात करते हैं, जिसे `राजनीति` में अक्सर देखा जा सकता है, जहाँ त्वरित लाभ के लिए नैतिकता को ताक पर रख दिया जाता है।

यह आध्यात्मिक आह्वान ऐसे समय में प्रासंगिक हो जाता है जब देश `चुनाव` के माहौल में है और हर `नेता` पर जनता की उम्मीदों का दबाव है।

`कांग्रेस` और `बीजेपी` जैसे प्रमुख दलों के प्रतिनिधियों सहित सभी को आत्म-निरीक्षण और नैतिक शुद्धता की आवश्यकता है।

मेहता जी का मानना है कि हनुमान चालीसा का नियमित पाठ एक प्रकार का ध्यान है जो हमें अपनी अंतरात्मा की आवाज़ सुनने में मदद करता है।

यह अंतरात्मा ही हमें पथभ्रष्ट होने से बचाती है और सार्वजनिक जीवन में ईमानदारी व दृढ़ता बनाए रखने का `आत्मविश्वास` प्रदान करती है।

यह केवल व्यक्तिगत शुद्धि नहीं, बल्कि एक `आध्यात्मिक` बल है जो सार्वजनिक सेवा में पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा दे सकता है।

इसी कड़ी में, जयपुर में नवमी के अवसर पर एक विशेष श्रीहनुमान चालीसा महापाठ का आयोजन किया जा रहा है, जिसका उद्देश्य इस `धार्मिक` और नैतिक संदेश को व्यापक `राजनीतिक` परिदृश्य में प्रसारित करना है।

सोशल मीडिया के माध्यम से देश-विदेश में इसका प्रचार-प्रसार हो रहा है, जिसमें राम-रावण युद्ध के प्रसंगों पर आधारित प्रवचन भी शामिल है, जो अच्छे और बुरे के बीच के शाश्वत संघर्ष को दर्शाता है।

यह कार्यक्रम इस बात पर बल देता है कि यदि `नेता` दुर्गुणों से बचकर नैतिक मार्ग पर नहीं चलते, तो समाज और राष्ट्र को इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है।

इसलिए, आत्म-नियंत्रण और नैतिक `नेतृत्व` ही एक सशक्त और समृद्ध समाज की नींव रखता है।

  • राजनीति में नैतिक नेतृत्व के महत्व पर प्रकाश डाला गया।
  • हनुमान चालीसा को आत्मविश्वास और दुर्गुणों से बचाव का स्रोत बताया।
  • सार्वजनिक जीवन में नैतिकता बनाए रखने का आह्वान किया।

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Posted on 01 October 2025 | Keep reading चाचा का धमाका.com for news updates.

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