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करवा चौथ: धर्मिक पूजा में न करें ये आध्यात्मिक भूल, जानें महत्वपूर्ण नियम Karwa Chauth Hindu Women Fast
चाचा का धमाका की रिपोर्ट के अनुसार, करवा चौथ का पावन पर्व हिंदू महिलाओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
यह राष्ट्रीय स्तर पर भारत के कई हिस्सों में, विशेषकर उत्तर भारत में, सुहागिनों द्वारा पति की लंबी आयु और सुखी वैवाहिक जीवन की कामना हेतु मनाया जाता है।
इस आध्यात्मिक व्रत के दौरान महिलाएं सूर्योदय से पूर्व स्नान कर शुद्धता के साथ व्रत का संकल्प लेती हैं और पूरे दिन निर्जला उपवास रखती हैं, जिसका समापन चंद्रमा दर्शन के उपरांत होता है।
पूजा की विधियों में शुद्धता और समर्पण का विशेष महत्व है, जिसके लिए पूजा सामग्री की पूर्व तैयारी और व्यक्तिगत स्वच्छता सुनिश्चित करना अनिवार्य है।
हालांकि, इस पवित्र व्रत के दौरान कुछ ऐसी गलतियाँ भी हैं जिनसे बचना आवश्यक है।
पूजा के दौरान क्रोध, ईर्ष्या या नकारात्मक विचारों से दूर रहना चाहिए, क्योंकि यह व्रत की पवित्रता को भंग कर सकता है।
पूजा सामग्री में किसी भी प्रकार की अशुद्धता या अनुपलब्धता से बचना चाहिए, और पुराने या खंडित पूजा सामग्री का उपयोग वर्जित माना जाता है।
इसके अतिरिक्त, व्रत के दौरान अपशब्दों का प्रयोग या किसी का अपमान करना भी इस धार्मिक अनुष्ठान के विपरीत है।
यह व्रत केवल एक व्यक्तिगत अनुष्ठान नहीं, बल्कि देश की सांस्कृतिक विरासत का एक अभिन्न अंग है, जो पारिवारिक मूल्यों और परंपराओं को सुदृढ़ करता है।
इस प्रकार, करवा चौथ का व्रत न केवल व्यक्तिगत आस्था का प्रतीक है बल्कि यह भारतीय समाज में प्रेम और समर्पण के गहरे आध्यात्मिक मूल्यों को भी दर्शाता है।
यह पर्व भारत की विविधता में एकता का एक सुंदर उदाहरण प्रस्तुत करता है, जहां हर घर में पति-पत्नी के अटूट रिश्ते का सम्मान किया जाता है।
इन नियमों का पालन कर महिलाएं अपने व्रत को पूर्ण फलदायी बना सकती हैं और इस राष्ट्रीय पर्व की गरिमा को बनाए रख सकती हैं।
- करवा चौथ व्रत में शुद्धता और सही पूजा विधि का पालन महत्वपूर्ण है।
- क्रोध व नकारात्मक विचारों से बचें; खंडित पूजा सामग्री का प्रयोग वर्जित है।
- यह राष्ट्रीय पर्व भारत की सांस्कृतिक विरासत और पारिवारिक मूल्यों का प्रतीक है।
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Posted on 06 October 2025 | Visit चाचा का धमाका.com for more stories.