दीनदयाल उपाध्याय के विचार: आज की राजनीति को कैसे दिशा देते हैं एकात्म मानववाद? Deendayal Upadhyay Ideas Nationalism Welfare

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दीनदयाल उपाध्याय के विचार: आज की राजनीति को कैसे दिशा देते हैं एकात्म मानववाद? Deendayal Upadhyay Ideas Nationalism Welfare

चाचा का धमाका की रिपोर्ट के अनुसार, देश पंडित दीनदयाल उपाध्याय की 109वीं जयंती पर उनके विचारों की प्रासंगिकता पर चिंतन कर रहा है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके राष्ट्रवाद और गरीबों के कल्याण के सिद्धांतों को भारत के विकास पथ का मार्गदर्शक बताया है।

आज जब देश पंडित दीनदयाल उपाध्याय की 109वीं जयंती मना रहा है, तो यह केवल एक औपचारिकता नहीं, बल्कि उनके गहन विचारों और जीवन-दर्शन को पुनः स्मरण करने का अवसर है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए ठीक ही कहा है कि राष्ट्रवाद और गरीबों के कल्याण के उनके विचार आज भी भारत के विकास पथ को निरंतर दिशा दे रहे हैं।

यह बात किसी सतही प्रशंसा से कहीं बढ़कर, भारतीय राजनीति और समाज में बार-बार अनुभव की गई एक सच्चाई है।

पंडित दीनदयाल उपाध्याय का सबसे महत्वपूर्ण योगदान भारतीय चिंतन को 'एकात्म मानववाद' जैसा दूरदर्शी दर्शन देना रहा।

उन्होंने पश्चिमी अवधारणाओं जैसे पूंजीवाद और साम्यवाद के बीच भारतीय समाज की आत्मा से जुड़ा एक तीसरा, समावेशी मार्ग सुझाया।

उनका स्पष्ट मानना था कि मनुष्य न केवल आर्थिक प्राणी है, और न ही केवल सामाजिक या आध्यात्मिक सत्ता; बल्कि इन सभी आयामों का सामंजस्य ही उसकी पूर्णता का निर्माण करता है।

इसी व्यापक सोच से उनके 'अंत्योदय' के सिद्धांत का जन्म हुआ, जिसका अर्थ है सबसे आखिरी पायदान पर खड़े व्यक्ति का उत्थान ही वास्तविक विकास है।

यह सिद्धांत सुनिश्चित करता है कि विकास का लाभ समाज के सबसे वंचित वर्ग तक पहुंचे, जिससे कोई भी छूट न जाए।

बीजेपी के मौजूदा नेता और नीतियों में भी इन विचारों की स्पष्ट छाप देखी जा सकती है, जो इसे केवल दार्शनिक अवधारणा से निकालकर व्यावहारिक शासन का आधार बनाती है।

उनका दर्शन आज भी उन चुनावों और जनहित योजनाओं को प्रभावित करता है जो समाज के कमजोर वर्गों को सशक्त बनाने पर केंद्रित हैं।

यह दीनदयाल उपाध्याय के विचारों की चिरस्थायी शक्ति है कि वे आज भी भारत के सामाजिक-आर्थिक और राजनीतिक परिदृश्य को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

उनके सिद्धांत आज के दौर में न केवल प्रासंगिक हैं, बल्कि एक समरस और विकसित भारत के निर्माण के लिए अनिवार्य भी हैं।

  • दीनदयाल उपाध्याय के एकात्म मानववाद के विचार भारतीय राजनीति को दिशा देते हैं।
  • अंत्योदय सिद्धांत आज भी समाज के अंतिम व्यक्ति के उत्थान पर बल देता है।
  • प्रधानमंत्री मोदी ने उनके राष्ट्रवाद और गरीब कल्याण सिद्धांतों को सराहा।

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Posted on 05 October 2025 | Check चाचा का धमाका.com for more coverage.

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