शिवपुरी से संवाददाता की रिपोर्ट
शिवपुरी, 05 अक्टूबर 2025 – जिले में अब खेतों में फसल कटाई के बाद बचने वाले ठूंठ और डंठल (नरवाई) को जलाना पूरी तरह प्रतिबंधित कर दिया गया है। पर्यावरण संरक्षण और वायु प्रदूषण को रोकने के उद्देश्य से कलेक्टर एवं जिला मजिस्ट्रेट रवीन्द्र कुमार चौधरी ने यह सख्त आदेश जारी किया है। यह आदेश भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 163 के तहत लागू किया गया है और पूरे शिवपुरी जिले में तत्काल प्रभाव से लागू होगा।
कलेक्टर चौधरी ने स्पष्ट किया कि फसल अवशेष जलाना न केवल पर्यावरण को हानि पहुँचाता है, बल्कि इससे मिट्टी की उर्वरता भी घटती है और आगजनी की घटनाओं की संभावना बढ़ जाती है। इसलिए अब हर हार्वेस्टर मशीन संचालक को अपनी मशीन में स्ट्रा मैनेजमेंट सिस्टम लगाना अनिवार्य कर दिया गया है, जिससे खेत में बचा अवशेष वहीं पर भूसे के रूप में परिवर्तित होकर उपयोगी बन सके।
इसके अलावा सभी हार्वेस्टर संचालकों को फसल कटाई शुरू करने से पहले कृषि अभियांत्रिकी विभाग, शिवपुरी में पंजीयन कराना होगा। उन्हें अपने ऑपरेटरों और स्टाफ की जानकारी भी विभाग को देनी होगी। यदि कोई किसान स्ट्रा मैनेजमेंट सिस्टम के बिना फसल कटाने का दबाव बनाता है, तो मशीन संचालक को इसकी जानकारी तुरंत संबंधित अधिकारियों को देनी होगी।
आगजनी की घटनाओं को रोकने के लिए हार्वेस्टर संचालकों को अग्निशमन की व्यवस्था — जैसे रेत, पानी और अग्निशमन यंत्र — साथ रखना अनिवार्य किया गया है।
राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) के आदेशों के अनुसार, नियम तोड़ने वालों पर पर्यावरण मुआवजा (Environmental Compensation) भी लगाया जाएगा। छोटे किसानों को प्रति घटना ₹2,500, 2 से 5 एकड़ तक वाले किसानों को ₹5,000, और 5 एकड़ से अधिक भूमि वालों को ₹15,000 तक का मुआवजा देना होगा।
कलेक्टर ने यह भी निर्देश दिया कि खेतों के पास लगे ट्रांसफार्मर से कभी-कभी चिंगारी या शॉर्ट सर्किट के कारण आग लग जाती है। इसलिए विद्युत वितरण कंपनी को निर्देश दिए गए हैं कि ऐसे ट्रांसफार्मरों के आस-पास 10×10 फीट का क्षेत्र खाली रखा जाए ताकि संभावित हादसों से बचाव हो सके।
उन्होंने चेतावनी दी कि आदेश का उल्लंघन करने वालों पर भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 223 और वायु प्रदूषण नियंत्रण अधिनियम, 1981 के तहत कठोर कार्रवाई की जाएगी। इसके अलावा पर्यावरणीय मुआवजा वसूलने का अधिकार संबंधित क्षेत्र के अनुविभागीय दंडाधिकारी को दिया गया है।
यह कदम जिले में स्वच्छ वायु और सुरक्षित कृषि वातावरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल माना जा रहा है।