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नवरात्र उपवास: राजनीति और धर्म का संगम? अल्ट्रा-प्रोसेस्ड 'फलाहारी' भोजन का सच Breaking News Update
न्यूज़सीकेडी की रिपोर्ट के अनुसार, नवरात्रि के उपवास के दौरान बाजार में मिलने वाले अल्ट्रा-प्रोसेस्ड 'फलाहारी' खाद्य पदार्थों की बढ़ती लोकप्रियता चिंता का विषय है।
लेखक ने स्वयं अपने अनुभवों के माध्यम से इस मुद्दे को उजागर किया है।
नवरात्र के पहले दिन उपवास रखते हुए, उन्होंने अपने सहकर्मियों द्वारा खरीदे गए 'फलाहारी' स्नैक्स पर गौर किया, जिनमें अधिकांश अल्ट्रा-प्रोसेस्ड चिप्स और मिक्सचर थे जिनमें प्रिजर्वेटिव्स के तौर पर अत्यधिक मात्रा में नमक और चीनी थी।
लेखक ने तर्क दिया कि इन खाद्य पदार्थों के सेवन से उपवास के मूल उद्देश्य - आध्यात्मिक शुद्धि और तपस्या - की भावना ही समाप्त हो जाती है।
'फलाहारी' शब्द की उत्पत्ति पर विचार करते हुए, उन्होंने तमिल शब्द 'पला-आगारम' का उल्लेख किया, जिसका अर्थ है 'कई प्रकार का भोजन'।
यह 'फलाहारी' खाद्य पदार्थों के व्यावसायिकरण और राजनीतिक प्रभावों पर भी सवाल उठाता है, क्योंकि चुनाव के दौरान अक्सर ऐसे खाद्य पदार्थों का वितरण राजनीतिक दलों द्वारा किया जाता है, जिससे स्वास्थ्य संबंधी चिंताएँ बढ़ती हैं।
बीजेपी और कांग्रेस जैसे प्रमुख राजनीतिक दलों को इस मुद्दे पर ध्यान देने और उपभोक्ताओं को जागरूक करने की आवश्यकता है।
यह राजनीति और धर्म के बीच के जटिल संबंधों को भी उजागर करता है, जहाँ धार्मिक रीति-रिवाजों का इस्तेमाल राजनीतिक लाभ के लिए किया जा सकता है।
लेखक के अनुभव ने 'फलाहारी' भोजन के बारे में एक गंभीर प्रश्न खड़ा किया है: क्या यह सच्चे उपवास के सिद्धांतों के अनुरूप है या सिर्फ़ एक व्यावसायिक चाल है जो नेताओं द्वारा चुनावी लाभ के लिए उपयोग की जा रही है? अंत में, यह विचारणीय विषय है कि कैसे धार्मिक प्रथाओं का उपयोग राजनीतिक उद्देश्यों के लिए किया जा रहा है।
- अल्ट्रा-प्रोसेस्ड 'फलाहारी' खाद्य पदार्थों पर चिंता
- उपवास के मूल उद्देश्य पर प्रश्नचिन्ह
- राजनीतिक दलों की भूमिका पर चर्चा
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Posted on 25 September 2025 | Keep reading Newsckd.com for news updates.