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दीपावली पर जलाएं अलक्ष्मी दीपक: धर्म, पूजा और समृद्धि का प्राचीन रहस्य उजागर Ujjain Diwali Lakshmi Pooja
उज्जैन से, चाचा का धमाका की रिपोर्ट के अनुसार, 20 अक्टूबर को मनाए जाने वाले दीपावली के पावन पर्व पर देवी लक्ष्मी की विशेष पूजा की जाती है।
इस शुभ अवसर पर महालक्ष्मी के स्वागत हेतु घर के बाहर दीपक प्रज्ज्वलित किए जाते हैं, परंतु शास्त्रों में एक अनोखी मान्यता भी बताई गई है।
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार, दीपावली की रात देवी लक्ष्मी की बड़ी बहन अलक्ष्मी के लिए भी एक दीपक जलाना चाहिए।
यह मान्यता हमारे प्राचीन धर्म का एक महत्वपूर्ण पहलू है, जो दरिद्रता की देवी अलक्ष्मी को घर से दूर रखने का संदेश देता है और घर में सुख-समृद्धि लाने की कामना से जुड़ा है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान देवी लक्ष्मी से पहले अलक्ष्मी का प्राकट्य हुआ था।
ज्योतिषविदों का मत है कि अलक्ष्मी दरिद्रता की प्रतीक हैं, और उनकी पूजा (एक दीपक जलाकर) दरिद्रता को दूर कर घर में सुख-समृद्धि लाती है।
यह केवल एक दीपक जलाने की रस्म नहीं, बल्कि भारतीय आध्यात्म और पूजा पद्धतियों का एक गहरा अंश है, जो नकारात्मक ऊर्जाओं को सकारात्मकता में बदलने का संकेत देता है।
धर्म-कर्म और सदाचार का पालन करने वाले भक्तजन अलक्ष्मी के नकारात्मक प्रभाव से हमेशा सुरक्षित रहते हैं, जिससे उनके जीवन में सुख और शांति बनी रहती है।
यह धार्मिक परंपरा न केवल लक्ष्मी पूजा के महत्व को बढ़ाती है बल्कि हमें यह भी सिखाती है कि जीवन के हर पहलू में संतुलन आवश्यक है।
दीपावली का यह पर्व हमें केवल धन की देवी की पूजा ही नहीं, बल्कि उन दैवीय शक्तियों को भी सम्मान देने की प्रेरणा देता है जो अदृश्य रूप से हमारे जीवन को प्रभावित करती हैं, जिससे हमारे आध्यात्मिक विकास का मार्ग प्रशस्त होता है।
यह एक महत्वपूर्ण धार्मिक अनुष्ठान है जो घरों में समृद्धि और सकारात्मकता लाता है।
- दीपावली पर अलक्ष्मी के लिए दीपक जलाने से दरिद्रता दूर होती है।
- समुद्र मंथन से देवी लक्ष्मी से पहले अलक्ष्मी का प्राकट्य हुआ था।
- यह धार्मिक परंपरा सुख-समृद्धि और आध्यात्मिक संतुलन लाती है।
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Posted on 12 October 2025 | Keep reading चाचा का धमाका.com for news updates.