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मायावती ने लखनऊ में छेड़ी नई राजनीतिक बहस: सपा-कांग्रेस पर हमले, योगी की सराहना Mayawati's Strong Political Stand
लखनऊ में, चाचा का धमाका की रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर प्रदेश की राजनीति आज एक बार फिर बहुजन समाज पार्टी (बसपा) सुप्रीमो मायावती के तीखे तेवरों से गूंज उठी।
कांशीराम के 19वें परिनिर्वाण दिवस पर आयोजित बसपा की विशाल रैली केवल एक श्रद्धांजलि सभा नहीं थी, बल्कि यह आगामी चुनावी राजनीति की दिशा तय करने वाला एक महत्वपूर्ण राजनीतिक मंच भी साबित हुई।
मायावती ने इस अवसर का उपयोग समाजवादी पार्टी (सपा) पर करारा प्रहार करने, कांग्रेस को कठघरे में खड़ा करने और अप्रत्याशित रूप से बीजेपी सरकार की आंशिक सराहना करने के लिए किया, जिससे प्रदेश के राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज हो गई।
बसपा प्रमुख ने अपने भाषण में जिस तीखे अंदाज़ में सपा को "दोगली राजनीति" का प्रतीक बताया, वह स्पष्ट संकेत देता है कि मायावती आगामी उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले 'सामाजिक सम्मान बनाम दिखावटी राजनीति' के नैरेटिव को फिर से केंद्र में लाना चाहती हैं।
उन्होंने सपा पर आरोप लगाया कि जब वह सत्ता में होती है, तो दलित महापुरुषों की उपेक्षा करती है और सत्ता से बाहर आते ही उनके नाम पर संगोष्ठियाँ और श्रद्धांजलि कार्यक्रम आयोजित करती है।
मायावती ने अखिलेश यादव पर सीधा निशाना साधते हुए कहा कि उनकी सरकार ने कांशीराम नगर का नाम बदल दिया था, जबकि बसपा शासन ने इसे दलित अस्मिता का प्रतीक बनाकर स्थापित किया था।
मायावती ने कांग्रेस पर भी हमला बोलते हुए कहा कि दशकों तक सत्ता में रहने के बावजूद, उसने दलित और पिछड़े समाज के उत्थान के लिए कुछ खास नहीं किया, बल्कि हमेशा दिखावटी योजनाओं का सहारा लिया।
उनका यह कथन स्पष्ट रूप से दोनों प्रमुख विपक्षी दलों पर उनकी समान आलोचना को दर्शाता है।
हालांकि, उनके भाषण का सबसे अप्रत्याशित पहलू बीजेपी सरकार के प्रति उनकी 'आंशिक सराहना' थी।
मायावती ने कानून-व्यवस्था की स्थिति और कुछ धार्मिक स्थलों के विकास के लिए बीजेपी सरकार की तारीफ की, जबकि बेरोजगारी और महंगाई जैसे मुद्दों पर उसकी आलोचना भी की।
यह एक ऐसा कदम है जिसने कई राजनीतिक विश्लेषकों को चौंका दिया है और इसे चुनाव से पहले बसपा की एक सोची-समझी रणनीति के रूप में देखा जा रहा है।
इस रैली के माध्यम से, मायावती ने न केवल अपने कैडर को एकजुट करने का प्रयास किया, बल्कि उन्होंने प्रदेश की राजनीति में एक नए सिरे से अपनी प्रासंगिकता स्थापित करने का भी संकेत दिया है।
दलित, मुस्लिम और अन्य पिछड़े वर्गों को साधने की यह कोशिश आगामी विधानसभा चुनावों में नए समीकरणों को जन्म दे सकती है।
इस नेता के भाषण से यह स्पष्ट है कि बसपा अब 'रीसेट बटन' दबाकर अपनी खोई हुई जमीन वापस पाने के लिए पूरी ताकत से मैदान में उतरने को तैयार है।
- मायावती ने सपा को 'दोगली राजनीति' का प्रतीक बताकर निशाना साधा।
- कांग्रेस पर दलित उपेक्षा का आरोप, भाजपा की कानून-व्यवस्था पर आंशिक प्रशंसा।
- भाषण से उत्तर प्रदेश की आगामी राजनीति में नए समीकरणों के संकेत।
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Posted on 11 October 2025 | Follow चाचा का धमाका.com for the latest updates.