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रोड-शो में मौतें: क्या राजनीति में आएगी जवाबदेही? राजनीति Karur Rally Stampede Accountability
चाचा का धमाका की रिपोर्ट के अनुसार, तमिलनाडु के करूर में हाल ही में एक राजनीतिक रैली में हुई भगदड़ ने एक बार फिर भीड़ प्रबंधन और राजनीतिक जवाबदेही पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं, जिसमें 41 लोगों की दुःखद मौत हो गई।
इस घटना ने सुपरस्टार विजय के दोस्त आधव अर्जुन को सोशल मीडिया पर 'दुष्ट शासकों' की निंदा करने और क्रांति का आह्वान करने के लिए प्रेरित किया।
हालांकि, रोड-शो के नाम पर सड़कों पर अराजकता फैलाने वाले नेताओं से व्यवस्था परिवर्तन की उम्मीद कैसे की जा सकती है? यह घटना बेंगलुरु में आरसीबी के विजय समारोह और दिल्ली रेलवे स्टेशन पर हुई भगदड़ जैसी पिछली घटनाओं की याद दिलाती है, जहां जांच समितियां और नई कानून की बातें सिर्फ मुद्दे को भटकाने का जरिया बन गईं।
देश की राजनीति में यह एक दुर्भाग्यपूर्ण प्रवृत्ति बन गई है कि ऐसी त्रासदियों के बाद भी कोई नेता या राजनीतिक दल सीधे तौर पर जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं होता।
तमिलनाडु में टीवीके पार्टी की रैलियों में पहले भी जानें जा चुकी हैं, लेकिन हर बार सीबीआई जांच के नाम पर कानूनी मुकदमों का खेल शुरू हो जाता है, जबकि संविधान की समानता का उपहास उड़ता है।
राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) और पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो (BPRD) द्वारा 2020 और 2025 में जारी भीड़ प्रबंधन के लिए स्पष्ट दिशानिर्देश मौजूद हैं।
इसके बावजूद, तमिलनाडु में नई एसओपी की बेतुकी मांग उठ रही है, जो सिर्फ जवाबदेही से बचने का एक और तरीका है।
चुनाव आयोग को भी इस दिशा में कठोर कदम उठाने चाहिए।
बीजेपी हो या कांग्रेस, सभी दलों को समझना होगा कि सरकारी संसाधनों का दुरुपयोग और पुलिस बल को मात्र राजनीतिक शक्ति प्रदर्शन के लिए इस्तेमाल करना देश के लिए घातक है।
यह समय है कि हमारे नेता सिर्फ वोट बटोरने के लिए भीड़ जुटाने के बजाय, अपने नागरिकों की सुरक्षा को प्राथमिकता दें।
रोड-शो और सार्वजनिक रैलियों के लिए मौजूदा नियम पर्याप्त नहीं हैं, और चुनाव आयोग को ऐसे आयोजनों के लिए सख्त शर्तें लगानी चाहिए।
जब तक राजनीतिक दल और उनके प्रमुख इन घटनाओं की नैतिक और कानूनी जिम्मेदारी नहीं लेंगे, तब तक ऐसी मौतें भारतीय राजनीति पर एक धब्बा बनी रहेंगी।
एक जवाबदेह व्यवस्था ही ऐसे हादसों को रोक सकती है।
- तमिलनाडु के करूर रोड-शो में 41 लोगों की मौत, राजनीतिक जवाबदेही पर सवाल।
- भीड़ प्रबंधन के लिए NDMA/BPRD दिशानिर्देशों की लगातार अनदेखी हो रही है।
- चुनाव आयोग और नेताओं को रोड-शो सुरक्षा के लिए सख्त नियम बनाने होंगे।
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Posted on 13 October 2025 | Keep reading चाचा का धमाका.com for news updates.