कलेक्टर ने की पशुपालन विभाग की योजनाओं की समीक्षा, गौ मित्र पहल और डेयरी विकास पर दिया विशेष बल......

शिवपुरी, 11 अक्टूबर 2025/ कलेक्टर रवीन्‍द्र कुमार चौधरी की अध्यक्षता में आज जिला कार्यालय के सभाकक्ष में पशुपालन विभाग की समीक्षा बैठक आयोजित की गई। बैठक में गौ मित्र पहल, गौशाला विकास, पशु स्वास्थ्य, डेयरी प्रोत्साहन एवं विभागीय योजनाओं की प्रगति की विस्तृत समीक्षा की गई। बैठक में गौ मित्र पहल की प्रगति पर विशेष चर्चा हुई। 

कलेक्टर ने कहा कि पशुपालन ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ है और इसके माध्यम से न केवल रोजगार सृजन हो रहा है, बल्कि पशुपालकों की आय में भी उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की जा रही है। उन्‍होंने कहा कि गौ मित्र कार्यक्रम का उद्देश्य गौ पालन को बढ़ावा देना और ग्रामीण स्तर पर आत्मनिर्भरता की दिशा में ठोस कदम उठाना है। उन्होंने विभागीय अधिकारियों को निर्देशित किया कि अधिक से अधिक पशुपालकों को योजनाओं का लाभ सुनिश्चित कराया जाए। इस अवसर पर डॉ. भीमराव अंबेडकर योजना, मुख्यमंत्री डेयरी प्लस योजना एवं आचार्य विद्यासागर योजना की प्रगति की समीक्षा करते हुए उन्होंने कहा कि इन योजनाओं के माध्यम से पशुपालकों को संगठित कर उन्हें आर्थिक रूप से सशक्त बनाया जाए।

कलेक्टर चौधरी ने गौशालाओं के विकास और रखरखाव पर विशेष बल देते हुए कहा कि गौवंश संरक्षण के लिए बेहतर प्रबंधन आवश्यक है। उन्होंने पशु स्वास्थ्य सेवाओं को और सुदृढ़ करने तथा टीकाकरण कार्य में किसी भी प्रकार की शिथिलता न बरतने के निर्देश दिए। साथ ही स्थानीय संसाधनों का अधिकतम उपयोग कर पशुपालन को आत्मनिर्भर और टिकाऊ बनाने पर बल दिया। उन्होंने यह भी कहा कि डेयरी फार्मिंग के विस्तार से न केवल दुग्ध उत्पादन में वृद्धि होगी बल्कि ग्रामीण क्षेत्र में स्थायी रोजगार के अवसर भी सृजित होंगे।

बैठक में कलेक्टर ने ब्रीडिंग एसोसिएशन कार्यक्रम के अंतर्गत ऐसे पशुपालकों की पहचान करने के निर्देश दिए जिनके पास 20 या उससे अधिक एक ही नस्ल के पशु हों, ताकि उनका पंजीयन कर उन्हें बेहतर नस्ल के पशु उपलब्ध कराए जा सकें। उन्होंने कहा कि इससे पशुपालकों को अच्छी नस्ल के पशु खरीदने के लिए अन्य राज्यों जैसे पंजाब या हरियाणा जाने की आवश्यकता नहीं होगी। इसी के साथ उन्होंने गौमेत्री सहायक पशु चिकित्सा क्षेत्र अधिकारियों को क्षेत्र में सेक्स सॉर्टेड सीमेन के उपयोग को बढ़ावा देने के निर्देश दिए, जिससे आवारा गौ-सांडों की बढ़ती संख्या को नियंत्रित किया जा सके

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