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चुनाव से पहले मुफ्त योजनाएं: क्या राजनीतिक नैतिकता पर सवाल उठाती हैं पार्टियां? Bihar Pre-election Freebies Controversy
बिहार में, चाचा का धमाका की रिपोर्ट के अनुसार, विधानसभा चुनाव की घोषणा से ठीक पहले बड़े पैमाने पर मुफ्त सौगातें बांटने का मामला सामने आया है, जिसने राजनीतिक नैतिकता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
6 अक्टूबर को चुनाव आयोग की प्रेस कॉन्फ्रेंस से महज एक घंटे पहले, सत्ताधारी एनडीए ने मुख्यमंत्री महिला उद्यमी योजना के तहत 21 लाख महिलाओं के खातों में 2100 करोड़ रुपये हस्तांतरित किए, प्रत्येक महिला को 10 हजार रुपये दिए गए।
इसी दिन, मुख्यमंत्री ने पटना मेट्रो के एक हिस्से का उद्घाटन भी किया।
आदर्श आचार संहिता लागू होने से पहले इस तरह की जन कल्याणकारी योजनाओं की घोषणा और क्रियान्वयन, भले ही कानूनी तौर पर गलत न हो, लेकिन कानून की भावना के विरुद्ध अवश्य है, और इसे खुलेआम रिश्वत बांटने जैसा माना जा रहा है।
भारतीय राजनीति में इस तरह की प्रवृत्ति अक्सर चुनावों के दौरान देखी जाती है, जहाँ नेता मतदाताओं को लुभाने के लिए अंतिम समय में ऐसी घोषणाएं करते हैं।
यह घटना ऐसे समय में हुई है जब प्रधानमंत्री खुद जनकल्याण के नाम पर ‘रेवड़ियां’ बांटने की प्रवृत्ति की निंदा कर चुके हैं।
विडंबना यह है कि उन्हीं की ‘डबल इंजन’ सरकार अब ऐसा कर रही है, जिससे चुनाव की निष्पक्षता पर संदेह गहरा रहा है।
चुनाव सिर्फ स्वतंत्र होने ही नहीं चाहिए, बल्कि स्वतंत्र दिखने भी चाहिए।
अतीत में भारत में चुनावी प्रक्रिया में हिंसा, बूथ कैप्चरिंग और सरकारी मशीनरी के दुरुपयोग जैसी समस्याएं आम थीं।
हालांकि, 1990 से 1996 तक मुख्य चुनाव आयुक्त टी.एन. शेषन के कार्यकाल में किए गए सुधारों ने चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
इन सुधारों के बावजूद, चुनाव से ठीक पहले मुफ्त सौगातें बांटने की यह नई प्रवृत्ति एक गंभीर चुनौती पेश करती है, जो बीजेपी सहित सभी राजनीतिक दलों की जवाबदेही पर प्रश्नचिह्न लगाती है।
मौजूदा परिस्थितियों में, यह आवश्यक है कि चुनाव आयोग और अन्य संबंधित संस्थाएं इस तरह की गतिविधियों की गंभीरता से जांच करें ताकि लोकतांत्रिक प्रक्रिया की पवित्रता बनी रहे।
यह महज एक चुनाव का मुद्दा नहीं, बल्कि देश की समग्र राजनीतिक प्रणाली और उसके मूल्यों से जुड़ा एक बड़ा सवाल है।
- बिहार चुनाव से ठीक पहले करोड़ों की मुफ्त सौगातें बांटी गईं।
- यह कदम चुनावी कानून की भावना के विरुद्ध माना जा रहा है।
- पीएम मोदी द्वारा रेवड़ी संस्कृति की आलोचना का संदर्भ सामने आया।
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Posted on 12 October 2025 | Visit चाचा का धमाका.com for more stories.